क्या होते हैं नागरिक सुरक्षा जिले, क्यों बजते हैं सायरन? जानिए सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल से जुड़े सभी सवालों के जवाब -
भारत में 7 मई 2025 को देशभर में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन
नागरिक सुरक्षा जिलों में बजेंगे सायरन, लोगों को सतर्क रहने की सलाह,पाकिस्तान से बढ़ते तनाव के बीच हो रही इस कवायद का उद्देश्य है आपदा प्रबंधन और युद्धकालीन तैयारी की जांच
नई दिल्ली:
भारत सरकार द्वारा 7 मई 2025 को देशभर में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें नागरिक सुरक्षा जिले मुख्य भूमिका निभाएंगे। इस अभ्यास का उद्देश्य आम जनता को आपातकालीन परिस्थितियों के प्रति तैयार करना और सरकारी एजेंसियों की प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन करना है।
क्या होता है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
यह एक पूर्व-नियोजित अभ्यास होता है जिसमें विभिन्न आपदा जैसे हवाई हमले, प्राकृतिक आपदाएं या युद्धकालीन परिस्थितियों को ‘सिमुलेट’ किया जाता है। इसमें सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया जाता है और सुरक्षा उपायों को अपनाने की प्रक्रिया दोहराई जाती है।
नागरिक सुरक्षा जिले क्या हैं?
सरकार द्वारा चुने गए ऐसे जिले, जिन्हें किसी संकट के समय प्राथमिकता पर सुरक्षा और सहायता दी जाती है। इनमें बुनियादी ढांचे, सैन्य ठिकानों, या रणनीतिक महत्व के संसाधनों की उपस्थिति होती है। भारत में ऐसे कई जिले निर्धारित किए गए हैं जहां मॉक ड्रिल ज्यादा गंभीरता से की जाती है।
क्यों बजते हैं सायरन?
सायरन एक चेतावनी संकेत होता है जो आम जनता को किसी खतरे की सूचना देने के लिए बजाया जाता है।
सुबह सायरन (टेस्टिंग/शुरुआत का संकेत)
अलर्ट सायरन (आपातकालीन चेतावनी)
ऑल क्लियर सायरन (स्थिति सामान्य)
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कोई अफवाह या खतरे की वास्तविक स्थिति नहीं होती, बल्कि यह एक पूर्व नियोजित अभ्यास होता है, ताकि नागरिकों और सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी आपात स्थिति में बेहतर प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार किया जा सके।
भारत सरकार की यह पहल देश की सामरिक और नागरिक सुरक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।